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THE PHOTOGRAPHER

तभी मोहन किसी के साथ दुकान मे पिरवेश करता है । मोंटी तुम अंदर जाओ काफी ठंड है यहां मोहन मोंटी से कहता है। ओर मोंटी वहा से चला जाता है  पिता जी ये ये दुकान देखने के लिए आए है मोहन उससे ( खरीदने वाले से ) कहता है ये दुकान है बस  थोड़ी मरम्मत की जरूरत हैं उसके बाद ये बिलकुल नई हो जाएगी और हा कल ये सब कबाड़ भी यहां से चला जाएगा कबाड़ी ले जाएगा । दूकान तो अच्छी हैं आपकी मै खरीद लूंगा ये कह कर वो मोहन से उसके कागजात के बारे मे पूछता हैं जो की वही रखे थे मोहन उसे दिखा देता है और वो उसे एडवांस कुछ पैसे दे देता हैं और बाकी पैसे कल देने का कहकर वहा से चला जाता हैं  । हरकू उनकी बाते सुन न सका और वहा उठ कर अपने कमरे मैं आ गया और बिस्तर पर लेट गया और कुछ सोचने लगा । वो रात हरकू सो ना सका उसे लग रहा था जैसे की यमदूत उसके सामने खड़ा हो उसके प्राण निकलने के लिए वो कभी इधर करवट बदलता तो कभी उधर । अगला दिन कबाड़ी आ पहुंचा और वो सारा सामान जो कभी हरकू को जान से ज्यादा प्यारा था उसे वो बहार निकाल कर फेंक रहे थे । वो घर की दहलीज पर बैठा सब तमाशा देख रहा था रेखा उसे देख काफी उदास थी हरकू ने उस दिन अपनी दवाई भी नही ली । थोड़ी देर बाद वो सब सामान भर कर ले गए और वो आदमी जो दूकान खरीद रहा होता हैं आ कर बाकी अमाउंट मोहन को देकर सारे कागजात अपने हाथ ले लेता है । ये सब मंजर हरकू की आंखों के सामने ही होता रहा वो दिल ही दिल रोता रहा पर वो लाचार अपनी ओलाद के सामने कर भी क्या सकता था । दूकान बिकने के साथ ही उसकी जिंदा रहने की आधी वजह खत्म हो गई थीं उसको एक सदमा सा लग गया अब वो ना कुछ खाता और ना ही पीता बस घर की दहलीज पर बैठ कर दूकान की तरफ देख कर रोता रहता फिर एक दिन शाम के समय जब ठंड बड़ने लगी अंदर से रेखा ने आवाज लगाई अंदर आ जाओ ठंड बड़ने लगी लेकिन बाहर से कोई जवाब नही आया मोहन ने भी उसको आवाज लगाई । पर कोई जवाब नही आया सब घबरा गए और बाहर की तरफ दौड़े । मोहन ने जैसे ही हर्रकू के कंधे पर हाथ रखना चाहा वैसे ही हरकू जमीन पर गिर पड़ा । ये देख सब घबरा गए मोहन ने नफ्ज देखी जो बंद हो चुकी थीं उसने कहा पिता जी हमारे बीच नहीं रहे । तभी उसकी नजर हरकू के हाथ की तरफ गई जिस मै कुछ था मोहन ने हाथ खोला तो उसमें एक पेपर का टुकड़ा था जिस पे कुछ लिखा था मोहन उसे पढ़ता हैं उस पर लिखा था " मोहन जब तुमको ये खत मिले गा तब तक बोहोत देर हो चुकी होगी मै शायद मै इस   दुनिया को अलविदा कह चुका हूंगा तब तक । बेटा मै तुमसे नाराज़ नही हू । ओर जो कुछ तुम ने मेरे साथ किया उसके लिए मै ने तुम्हे माफ किया क्योंकि कोई भी पिता अपने बच्चों से नाराज़ नही हो सकता चाहे वो कुछ भी करले पर बेटा मै तुम्हारे लिए भगवान से दुआ करूंगा की तुम्हारी औलाद तुमसे कभी भी वो चीज ना छीने जो तुम्हारी जीने की वजह हो । वो दूकान तुम्हारे लिए सिर्फ एक दूकान थी पर  मेरे लिए सिर्फ और सिर्फ जीने की वजह । अच्छा होता अगर तुम उसको मेरे मरने के बाद बेच देते । ओर हा बेटा तुम्हारी मां के जीने की वजह सिर्फ और सिर्फ तुम हो उसका खयाल रखना और उसे अपने साथ अपनी मां बना कर शहर ले कर जाना ना की घर की नौकरानी " ये सब पढ़ने के बाद मोहन बोहोत पछतावे के आंसू रोया पर अब क्या होता जब चिड़िया चुग गई खेत ।



finished 

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5 Comments

Bahut badhiya...

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Aliya khan

24-Jan-2022 01:05 AM

Achi kahani h

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Mohammed urooj khan

24-Jan-2022 10:54 AM

Shukriya

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Arjun kumar

22-Jan-2022 03:45 PM

Is good

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